Skip to main content

दोस्ती,दगाबाजी और eBIZ

पहले इस ब्लॉग को लिखते समय मै इसे सिर्फ एक मजाकिया घटना की तरह पेश करना चाह रहा था ,मगर अचानक नेट पर इस ब्लॉग का कंटेट ढूँढने पर मुझे कुछ बेहद अचम्भित करने वाले फैक्ट पता चले जो कि मैं आगे बताने जा रहा हूँ...
घटना बताने से पहले ये साफ करदूँ कि ऐसा कुछ भी खतरनाक नहीं हुआ है इस घटना में,ये सिर्फ मेरे  मन की भावनाऐं दर्शाने,एक कंपनी के जालसाजी के तरीकों और दो व्यक्तित्वों के व्यवहार पर लिखा गया ब्लॉग है,और मेने इसे लिखने लायक समझा ताकि मैं जीवन में आगे इस हालात से दुबारा गुजरूँ तो फैसला इसे ध्यान में रखकर लूं...और आप भी ऐसी ललचाती सपने दिखाती योजनाओं के लालच में फंसकर रूपये,समय और जमी-जमाई इज्जत को बर्बाद ना कर दें...
घटना कुछ इस प्रकार से है कि पिछले कुछ दिनों से एक नया दोस्त मेरी बड़ी चिन्ता कर रहा था,हाल-चाल पूछ रहा था ,पढाई के बारे में पूछ रहा था,मैने भी इसे सामान्य रूप से लिया(जाहिर है हर कोई यही करता) मैने जो हो सकता था वो जवाब दिया...
ऐसी सामान्य बातचीत में बंदा क्यूँ कोई अलग ही दिमाग लगाये,मैने भी नही लगाया...
और मुझमें एक कमी है कि मेरा व्यक्तित्व एक मिलनसार व्यक्तित्व नहीँ है,
मुझमें अनजान लोगों से बातचीत शुरू करने और बातचीत को तेजी से आगे बढाने का गुण या टेलेन्ट नहीं है..ना ये टेलेन्ट खुद मुझमें आया और ना ही मैने इसकी तरफ ध्यान दिया..
पर वो भाई बड़ी ही तेज आगे बढ़ रहा था,हम एक ही मोहल्ले के हैं,आमने-सामने कॉलेज में पढतें हैं...
कल उसका कॉल आया कि कहाँ पे है.. मैने कहा घर पे हूँ..वो बोला कि तेरे घर के बाहर खडा़ हूँ,एक मिनट आ कुछ बात करनी है..
मैं गया...
उसने जाते ही मुझे एक Entry pass दिया,जिसपे लिखा था, सेमिनार एट होटल राज महल..मैने पूछा कि ये किस चीज का पास है?
उसने बताया कि यार यहां एक मस्त सेमिनार हो रहा है जिसमें ३-४ घंटो मे जीवन को सफल बनाने की जानकारी दी जाएगी,तू देखेगा तो पागल हो जाऐगा,और ये ,और वो..मतलब तारीफों के पुल बाँध दिये उसने ,कि यार तेरे लिए अलग से ये पास खरीदा है|
मैने सोचा यार वाह ,बंदा मेरा बहुत भला सोच रहा है ,मेरे लिए पास लेकर आया है..और ज्यादा पूछताछ ना करते हुए,मैने धन्यवाद दिया.
मैं बड़ा खुश हुआ..
आज की सुबह वो घर आया और मैं उसके साथ चल दिया...
होटल राज महल पहुँचे ११ बजे,वहाँ कॉलेज स्टूडेन्टस खड़े थे...ज्यादातर मेरी तरह अन्जान थे की अंदर क्या होगा? सब एक दूसरे से पूछ रहे थे...
फिर हॉल मे घुसे ,और सेमिनार शुरू हुआ...
बाहर के कॉलेजों से आये कुछ स्टूडेन्टस कुछ कम्पयूटर साक्षरता की बात करना शुरू किए,जिसमें सबके लिए कम्प्यूटर कोर्सेज का जिक्र था,फिर कुछ लच्छेदार भाषण हुए,फिर उन्होने एक कंपनी का नाम लिया जो ये सब कोर्सेज को ऑनलाइन और ऑफलाइन ऑर्गेनाइज कराती है और उस कंपनी का नाम प्रोजेक्टर पर फ्लेश हुआ फिल्मी अंदाज में , eBIZ.com .....
कंपनी का नाम सुनते ही मेरा माथा ठनका,और मै भी फिल्मी अंदाज में फ्लेशबेक में चला गया ,
बात एक साल पहले की है जब मेरे एक अन्य दोस्त ने मुझे अचानक जल्द से जल्द मिलने के लिए बुलाया,मैं गया और देखा कि इसी eBIZ कंपनी के कुछ वॉलिंटियर/प्रचारक खड़े थे,उन्होने हमे इसी तरह लच्छेदार सपनों मे लपेटने की कोशिश की,कंपनी के बारे मे बताया कि कंपनी संस्थापक पवन मल्हान जी का सपना है देश को आगे बढाने का,अमेरिका से आगे(एक हम भारतीयों की सबसे बड़ी कमी है कि हमारी तुलना अमरीका से करते ही हमें बड़ा जोश आ जाता है) ,साल के दस लाख रूपये ,लम्बी गाड़ियाँ ,पड़ौसी के मुँह से तारीफ,वो भी पढाई के साथ साथ..
हर किसी का मन ललचा जाता है,खासकर उसका जिसने कभी chit fund कंपनीयों का cheat ना देख रखा हो, और हाँ इनके समझाते समय फोन स्विच ऑफ करने की सख्त हिदायत दी जाती है,और शिकार को जल्द से जल्द निर्णय लेने के लिए फोर्स किया जाता है,ताकि सोचने का वक्त ना मिले...और यहाँ लोगों की पारिवारिक मजबूरियाँ,माँ का प्यार,घर का काम करना ,पिता का कम कमाना आदि इमोशनल मुद्दों को उठाकर परोसा जाता है कि सोचने का कुछ समय मिले तब भी बंदा यही सोचता रह जाये..
पर मुझे इन फ्रॉड स्कीमों के बारे में थोडी जानकारी थी,मैने उनसे कुछ मुश्किल सवाल पूछे,अन्य फ्रॉड कंपनीयो के बारे में बताया,और मैने रूपये देने से मना कर दिया,पर हमारे वहाँ पहुँचने से पहले मेरे दोस्त ने 9956 रूपये जमा करवा दिये थे.
उनके बहुत फोर्स करने के बाद भी मैने उन्हे पैसा जमा कराने के लिए हाँ नही भरी...
इस स्कीम में होता क्या है कि एक व्यक्ति को शुरू में रजिस्ट्रेसन कराने के लिए 10675रूपये(पहले 9956rs) जमा कराने होते है ,फिर अपनी जान-पहचान के या अन्जान दो और लोगो को अपने under join कराना होता है,( उदाहरण के तौर पर सलमान की फिल्म 'जय हो' की तरह कि एक आदमी थैंक यू बोलने की बजाय तीन लोगो की मदद करे और वो आगे नौ,इसी तरह चेन बनायें,या मोदी जी के स्वच्छ भारत के लिए एक आदमी सफाई करे और नौ लोगों को और नॉमिनेट करे),यदि एक व्यक्ति दो अन्य को जोड़े तो कंपनी उस ज्वाइन कराने वाले व्यक्ति को 2700रूपये देती है.ऐसी स्कीम है उनकी....
मै पुरानी यादों से लौटकर वापिस हॉल में आ गया,और मेरा माथा वहीं पर खराब हो गया कि यार ये फिर कहाँ आकर फँस गया मैं,वही कंपनी ,वही वालिंटियर,वही प्रचारक,वही पुराना शिकार मैं,और वही मेरा पुराना नहीं का फैसला...
पर मैने अपने उसी दोस्त को फोन किया जिसने रूपये जमा कराये थे,जानने के लिए कि क्या करती है ये कंपनी..
उसने बताया कि एक साल हो गया और घर पर अभी तक एक रूपया भी नहीं आया है कंपनी की तरफ से..
फिर तो मेरे दुखी होने की हद ही पार हो गयी,वहाँ ऐसा बुरा फँसा कि ना निगलते बन रहा था ना ही उगलते..बीच सेमिनार मे साले किसी को घर जाने भी नहीं दे रहे थे,ऐसा लग रहा था कि मुझे किसी ने बंधक बनाया..
मैने तो वहाँ बैठे बैठे बोरियत के समय मे पाबंदी के बावजूद फोन निकालकर वहाँ के माहौल को देखते हुए तीन मस्त शेर और लिख डाले -->>
१. मतलब की ये दुनिया लोगों, मतलब के हैं यार...
    झूठी इनकी दोस्ती,और झूठा इनका प्यार...
२.दुनिया लूट रही है, जनता लुट रही है....
   सच्चाई छूट रही है, बुराई उठ रही है....
३.सपने जगाती है दुनिया लूटने के लिए....
जगाने वाले आगे, सपने वाले रह जाते हैं पीछे छूटने के लिए...
अब ऐसे टाईम मे तो ऐसे ही शेर निकलेंगे दिमाग से...
पर इतना समझने के बाद मेरे चेहरे पे तीन तरह के भाव आ रहे थे..
1.गुस्सा:बिना उस दोस्त से पूरा पूछे,बिना मन मे विचारे ,बेवकूफों की तरह दोस्त की बात पर भरोसा करके,मुँह उठा के चल दिया,इसलिए खुद पर गुस्सा,और इस गलती के लिए खुद को सजा भी दी मैनै...ताकि फिर ऐसा ना करूं..
2.दर्द: उसने मुझे इस इवेंट के बारे में कुछ भी नहीं बताया,कि वहाँ पर क्या होगा,और उसने कुछ खास लोगों को ही सेलेक्ट किया था जिनमें से मै भी था,मतलब उसे मैं इतना बड़ा बेवकूफ लगा,उसका अल्टीमेट टार्गेट सिर्फ मुझसे दोस्ती करके अपना टार्गेट पूरा करना था,इस बात से दर्द हुआ कि बंदा दोस्त बना के द़गा दे गया..
3.हँसी: अपनी इस बेवकूफी के बारे मे सोच सोचकर हँसी आ रही थी कि ये मैने क्या कर लिया,क्या पागल फैसला कर लिया,और घर लौटते वक्त तो में पागलों की तरह हँसता आ रहा था...
पर ज्यादा गलती मुझे मेरी नही लगी,क्योंकि मैने उस पर आँख मूंदकर भरोसा किया,और उसने मुझे सिर्फ इसलिए इनवाईट किया,सिर्फ इसलिए मेरे लिए पास खरीदा ताकि मैं उसको रूपये जमा करा दूँ और उसके अंडर ज्वाइन करने वालों की संख्या मे और इजाफा हो सके...मैं सिर्फ एक सीढ़ी का हिस्सा बनाया जा रहा था,जिस पर चढकर वो आगे बढे...
मुझे नही पता कि उसे कंपनी की तरफ से कुछ मिलेगा या नही पर इतना तय है कि उसे अब मेरी तरफ से दोस्ती और इज्जत नही मिलेगी,क्योंकि वो सिर्फ एक मतलबी यार था,
और मुझे तो पता नही उपरवाला भी ऐसे दिन और यार दिखा रहा है कि आजकल तो दोस्ती से थोड़ा-थोड़ा विश्वास डगमगा रहा है...कोशिश करूंगा इसे स्थायित्व देने की,पर पोजिटिव रिस्पोंस भी एक फैक्टर होता है...
चलो वापिस मुद्दे पर आते हैं और इस कंपनी #eBIZ की बात करते है जो कि गूगल करने पर पता चला कि सन् 2000 में डॉ. पवन मल्हान द्वारा शुरू की गई..
पता चला कि अमेरिका ने इनकी ऐसी ही कंपनी पर $20million का जुर्माना लगाया था क्योंकि कंपनी कानूनों के हिसाब से सही नही पाई गई..
कंपनी खुद को ISO द्वारा प्रमाणित बताती है जबकि आजकल हर कोई संस्था चंद रूपये देकर अपने आपको ISO certified करवा सकती है,और कंपनी संस्थापक पवन मल्हान के बारे में भी विकीपीडिया पर कोई खास जानकारी नही है जिस तरह से उनकी तारीफों के पुल बाँधे गये है(जबकि ज्यादातर बिजनेस टायकून्स की जानकारी विकीपीडिया पर होती है).
कंपनी तीन प्रमुख दावे करती है तथा उन दावों के बारे मे मिली जानकारी कुछ इस प्रकार है..
1.फ्री कम्प्यूटर कोर्सेज: इनके लिए ऑनलाइन कोर्सेज होते है और Login I'd and password कम्पनी देती है प्रत्येक यूजर को(फेसबुक की तरह) ,पर सच्चाई ये है कि इन कोर्सेज के लिए दिया जाने वाला सर्टिफिकेट किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी या संस्था द्वारा नही दिया जाता,मतलब उसकी मार्केट वेल्यु कुछ नही है,तथा हर वर्ष इन कोर्सेज के लिए 4000₹ रिन्यू कराने के लिए देने पड़ते है...और नेट पर ये सॉफ्टवेयर फ्री में मिल जातें है..पर यहाँ चाहिए और पैसा...हर वर्ष.
2.फ्री देश-विदेश टूर: इनमे व्यक्ति को मनचाही जगह पर नही भेजा जाता बल्कि कंपनी द्वारा तय जगह पर ही जाना पड़ता है वो भी सिर्फ पत्नी के साथ,माता-पिता या बच्चों का खर्चा अलग से लिया जाता है, मतलब इसमे सिर्फ कंपनी की मर्जी चलती है,और प्रोसेस ऐसा कॉमप्लेक्स होता है कि बंदा प्लान ही ड्राप कर देता है...
3.  Earn while learn: ये सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी की लूट का(जहाँ तक मुझे समझ में आया) ये कुछ यूँ है कि इसमे सबसे पहले ज्वाइन करते समय व्यक्ति को ₹10675 जमा कराने पड़ते हैं (पहले ₹9950, उससे पहले ₹8000 जमा कराने पड़ते थे,लगातार बढ रहे हैं)
फिर इसके बाद दो अन्य लोगो को रूपये जमा कराने के लिए convince करना होता है, और वो लोग यदि ₹10675 जमा कराते है तो ज्वाइन करवाने वाले को ₹2700 का चेक मिलता है...
कुछ समझे??????????
देखिए कंपनी के पास कुल कितने रूपये पहुँचे-->>  10,675×3= 32,025.....
और कंपनी ने वापस कितने दिए -->>
सिर्फ 2700 रूपये ....
यानि कंपनी को कुल लाभ कितना हुआ सिर्फ तीन लोगों पर -->>
32,025-2700= 29,325 रूपये...
और यही है इस कंपनी का खेल,जितने ज्यादा लोग जुड़े ,उतने ज्यादा रूपयों का कंपनी को फायदा,और ग्राउंड लेवल पर भागदौड करने वाले को इसका कुछ प्रतिशत ही मिला...
यही है Human Resource Utilization...
कंपनी लोगो को मूर्ख बना रही है और लोग मूर्ख बन रहे हैं...
और जिस तरह आसाराम को भक्तों द्वारा बापूजी कहा जाता है ,उसी तरह इस कंपनी में पवन मल्हान को पापाजी कहा जाता है इनके भक्तो द्वारा...
सोचिये ये तो सिर्फ तीन का उदाहरण है,अगर वो नये जुड़े लोग अपने नीचे दो दो को और जोड़ ले तो??
चेन कुछ ऐसी होगी -->>
                     A (5400₹)
                   /     \
    (2700₹)B        C(2700₹)
               /    \     /   \
             D      E  F    G
कंपनी की कुल अर्निंग= >10,675×7=74,725₹
कंपनी इनाम देती है => 5400+2700+2700=10,800 ₹
कंपनी का लाभ => 74725-10800= 63925₹
लगभग दुगुने से ज्यादा लाभ,जब सात लोगो पर ऐसा है तो सोचिए कंपनी के तथाकथित 14 लाख वालिंटियर पर कंपनी को कितना लाभ होता होगा??????
और ये लाभ एकदम शुद्ध लाभ है,क्योंकि कंपनी का कोई खर्चा नही है,प्रचार तो सिर्फ वालिंटियर करते है वो भी फ्री में ,अपने लालच की वजह से,जिस तरह एक गधा सर के सामने लटकाये गाजर को खाने के लालच मे कई मील चल जाता है और मालिक का भार ढोता है...
मोरल ऑफ द स्टोरी ये है कि दुनिया में किसी पर भी जल्दी विश्वास नही करना चाहिए ,और खासकर तब जब सामने वाला ये कहे कि लखपति बना दूँगा,करोड़पति बना दूँगा,क्योंकि सफलता का कोई शार्टकट नही है....
जब यह ब्लॉग लिख रहा था तब मैने कुछ गूगल किया #eBIZ के बारे मे ,वहाँ जो मिला वो यहाँ इस ब्लॉग मे लिखने की कोशिश की है...
मेरा ये ब्लॉग किसी भी संस्था,व्यक्ति या संगठन के खिलाफ नहीं लिखा गया है,बल्कि उन आम लोगों को समझाने,उनकी मेहनत की कमाई को बचाने के लिए लिखा गया है ताकि वे इस तरह की ललचाने वाली और लखपति-करोड़पति बनाने वाली स्कीमों से अपने आप को,अपने दोस्तों को,रिश्तेदारों को बचा सकें.
ऐसी स्कीमों मे लोग ज्यादातर अपने रिश्तेदारों,अपने दोस्तो को ही शामिल करते है,जिसकी वजह से दोस्तो,रिश्तेदारों की नजरों में उसकी इज्जत बढती नहीं बल्कि कम हो जाती है जब कंपनी की स्कीम उन्हे ढंग से समझ में आती है कि ये तो फ्रॉड स्कीम है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ...
मुझे यकीन है कि आपने बंगाल के शारदा चिट फंड घोटाले के बारे मे सुना होगा ,जिसमें कि हजारों लोगो के करोड़ों रूपये लेकर चिट फंड कंपनी फरार हो गई और गरीब जनता के पैसे लेकर लोग चम्पत हो गये और जनता रोती रह गई ,जाँच में कुछ मंत्री भी इसमे शामिल पाये गये...
शारदा जैसी एक और कम्पनी थी 'ट्यूलिप' जिसकी स्कीम भी eBIZ जैसी थी,और कुछ साल पहले वो भी लोगों के रूपये लेकर फरार हो गये..
उनका कुछ नही बिगड़ा और गरीब जनता फिर लुट गई,रोती रह गई...कारण है उसका कुछ दिनो में करोड़पति बनने का शार्टकट लेना और फिर मेहनत मजदूरी करके कमाये गये कुछ धन को भी लुटवा देना...इससे बचिए और बचाईये,यही लक्ष्य है..
मेरा(प्रशान्त चारण) का ये ब्लॉग जागरूकता लाने के लिए लिखा गया है,और आपका ये ब्लॉग पढने के लिए तहेदिल से शुक्रिया,आपकी राय सादर आमंत्रित है.
रेफरेंस के लिए आप नीचे दी गई लिंक्स के कंटेट को भी पढ सकते है,जिन्हे पढकर मैने अपने ब्लॉग को कुछ और साफगोई से लिखा है...
१.http://techterrain.blogspot.in/2012/12/ebiz-fraud.html?m=1
२.https://m.facebook.com/permalink.php?id=295437847248411&story_fbid=383400118452183&fbt_id=383400118452183&lul&ref_component=mbasic_photo_permalink_actionbar&_rdr#s_822cb1c9a84ce647de1f21807feb6350
३.http://www.consumercomplaints.in/complaints/ebiz-c200175.html
४.https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=724992267528770&id=414966695197997&refid=17
५.http://antiebizers.blogspot.in/2013/11/when-would-you-understand-that-company.html?m=1
Contact me at: Facebook.com/pras111
Twitter:  @prashuspeaks
Instagram: prashantbithu
Thank you so much friends.

Comments

  1. ekdam sahi baat kahi he tumane prashant

    ReplyDelete
  2. Isliye aese marketing karne wale dosto p vishwas nhi karna chahiye

    ReplyDelete
  3. eBiz ak achhi company hai bhai 💯

    ReplyDelete
  4. Total froud company isme case chal rha hai aur jitne bhi ebizer the unko otlar se jod diya ja rha hai jb ye itna hi famous company h to otlar me join krane me kyun paisa le rhi hai ek to ebiz me invest kro aur wo company doob gyi to otlar me lagao achha bewkoof bahati h ye company thnk god band ho gyi ye company ab koi ebizer nhi milega
    😡😡😡😡

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वेंटिलेटर पर पड़ी पत्रकारिता पर पत्रकारों को खुला ख़त

प्रिय पत्रकारों, एक आम भारतीय के नाते आप सबसे बात करनी है, इसलिए आप सबको एक खुला पत्र लिख रहा हूँ, क्येंकि हमारी मीडिया आज के एक बहुत बुरे संकट के दौर से गुजर रही है, और उन्हें सही रास्ते पर लाने के लिए हम सब को आगे आना पड़ेगा. हमारी मीडिया अपने असली कर्तव्य और खोजी पत्रकारिता को कहीं रखकर भूल गई है, वो जनता और सरकार के बीच के पुल बनने के बजाय खाई बन रहें हैं. वो ना तो आज सरकारी आँकड़ों का एनालायसिस करतें हैं, ना ही किसी सरकारी योजना का सही ढंग से विश्लेषण करते दिखते हैं, ना ही खुद मेहनत करके कोई खबर ढूँढते हैं. आज खबर को ढूँढने का समय कहाँ है हमारी राष्ट्रवादी मीडिया के पास, उन्हें इंद्राणी, हनीप्रीत, रितिक-कंगना जैसी "महत्वपूर्ण और देशहित" की खबरों से फुर्सत मिले तब ही तो ऐसा कुछ करेंगें. मीडिया और विपक्ष आजादी के बाद के सबसे बुरे दौर से गुजर रहें हैं, और जब तक उन्हें एहसास होगा तब तक बहुत देर हो चुकी होगी. मसलन GST को लागू हुए आज 100 दिन पूरे हो गये हैं, जहाँ मीडिया को ये करना चाहिए था कि वो जमीनी स्तर पर जाकर इसकी खामियाँ ढूँढती और सरकार को उन खामियों से अवगत करा

काल्पनिक वास्तविकता की कहानी

ये एक काल्पनिक कहानी है..जिसको बहुत सारी कहानियों से मिलाकर बनाया गया है..!! शुरूआती दृश्य - एक नौकरानी बड़े घर में झाड़ू- पोछा कर रही है..और उस घर का मालिक सुबह 7 बजे ही घर में शराब पी रहा है.. वो भी बेहिसाब तरीके से..! नौकरानी को ऐसा देखते हुए कई वर्ष हो गये थे, पर साहब के गुस्सैल और एकान्त प्रिय स्वभाव की वजह से आजतक उसने इस बारे में कुछ नहीं पूछा! वो नौकरानी एक गरीब परिवार की थी..अपना घर चलाने के लिए वो लोगों के घरों में काम करती थी..उसके पति की ५ वर्ष पहले टीबी की वजह से मौत हो गई..बुजुर्ग सास ससुर और दो छोटे बच्चों की जिम्मेदारी के बोझ ने उसे लोगों के घरों में काम करने को मजबूर कर दिया था ! वो एक काम में दक्ष महिला थी, कभी किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं..सिर्फ घरों का काम करती और पहली तारीख को पैसे ले जाती..वो ना तो साहब लोगों से बात करती ना किसी की जिन्दगी में ताक झांक करती.. पर इस आदमी की लगातार खराब होती हालत देखकर उसने एक दिन पूछने के बारे में सोच ही लिया.. पर रवि कुमार नाम का व्यक्ति सबके लिए एक पहेली बना हुआ था..क्योंकि ये एक ऐसे व्यक्तित्व का पुरूष था जिसको सुबह उठते ही